Baba Shri Chandra Ji Maharaj
Welcome to Udasin Grihasth Samaj Utthan Parishad
Central Committee
Bihar State Committee
Uttar Pradesh State Committee
Jharkhand State Committee
Baba Ji Ki Jivani
बाबा श्रीचन्द्र जी की जीवन और शिक्षा यात्रा : एक झलक
बाबा श्रीचन्द्र लुप्तप्राय उदासीन सम्प्रदाय के पुनः प्रवर्तक आचार्य हैं। उदासीन गुरू परंपरा में उनका 165 वां स्थान है। बाबा श्रीचन्द्र जी का जन्म भाद्र शुक्ल नवमी को वि.सं. 1551 सन 1494 ई. में श्री गुरुनानक देव जी के घर तलवंडी गांव में (वर्तमान में ननकाना साहिब, पाकिस्तान) नामक स्थान पर हुआ। आप की माता जी का नाम सुलक्षणी अर्थात शुभ लक्षणों वाली था। आप बचपन से ही अलौकिक तथा रूहानी प्रकृति वाले थे। आप बालजती, सती, महान तपस्वी, ब्रह्मज्ञानी तथा उदासी मत के संस्थापक थे। श्री के.एम. मुंशी अपनी पुस्तक ‘द लाईफ ऑफ बाबा श्रीचन्द्र’ में लिखते हैं कि जन्म के समय ही आप के अवतरण को बड़ा महान प्रगट किया गया और बुद्धिमान लोगों ने समझा कि भगवान शंकर स्वयं आए हैं।
बहुत छोटी आयु से ही आप ने अपने पिता गुरुनानक देव जी से अक्षर बोध तथा गिनती आदि सीखी और ध्यान लगा कर समाधि लगाने का अभ्यास भी करने लगे….. Read More
श्री गुरु श्रीचन्द्र भगवान जी की आरती
ओम जय श्री चन्द्र देवा, स्वामी जय श्री चन्द्र देवा।
सुर नर मुनिजन ध्यावत 2, सन्तन की सेवा हरि ओम् ।।१।।
कलियुग घोर अंधकार देखकर, धरियो अवतारा।
स्वामी धरियो शंकर रूप सदाशिव 2, हर अपरम्पारा-हरि ओम् ।।२।।
योगेन्द्र अवधूत सदा तुम, बालक ब्रम्हचारी। स्वामी बालक
भेष उदासीन पालक 2, महिमा अति भारी-हरि ओम् ॥३॥
रामदास गुरू अर्जुन, सोढी कुल भूषण। स्वामी सोढी-सेवत चरण तुम्हारे 2, मिट गये सब दूषण-हरि ओम् ॥४॥….. Read More
बाबा श्री चंद्र देव भगवान की अरदास
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।
ॐ अखंड अद्वैत सत स्वरूप जी के चरण कमलों में महान महिमा का ध्यान धर कर बोलो जी श्री चंद्र हरे ।
श्री सद्गुरु सनकादिक अविनाशी मुनि निर्वाण देव जी के चरण कमलों का ध्यान धर कर बोलो जी ,,,,,,,,
सिद्धेश्वर योगीराज बाबा बनखंडी साहिबजी , त्यागी निर्वाण देव प्रीतम दासजी , पवित्र गोला साहबजी, ध्वजा साहबजी के चरण कमलों का ध्यान धर कर बोलो जी ,,,,,,,
चार वेद ,अठारह पुराण, श्रीमद् भागवतगीताजी, श्री रामायणजी, छठ शास्त्र, चारों धाम, चौरासी सिद्ध चौबीस अवतारों का ध्यान धर कर बोलो जी ,,,,,
चार धूना ,छै बख्शीष ,श्री शेष भगवानजी के चरण कमलों का ध्यान धर कर बोलोजी ,,,,,,,,, Read More
उदासीन गृहस्थ समाज उत्थान परिषद्: एक चिंतन
वास्तव में समाज की मजबूती के लिए मानव का संगठन होना आवश्यक है। जब तक समाज संगठित नहीं होगा तब तक उसका सामाजिक विकास सम्भव नहीं है। वल्कि यों कहें कि बिना संगठन के मानव का कोई अस्तित्व नहीं होता है। जिस तरह नींबू के सारे फांक उसके छिलके के कारण ही एक दूसरे सो जुड़े होते हैं और ज्योंही उसका छिलका उतर जाता है, उसके सारे फांक बिखर जाते हैं। ठीक उसी तरह मानव के ऊपर संगठन रूपी छिलके का महत्व है। अतः मानव की मजबूती और समाज की विकास के लिए छिलके रूपी संगठन का होना नितांत आवश्यक है।
कुछ इसी तरह की विचार बार-बार मेरे मन में समाज के प्रति तरंग की भाँति हिलारे दे रहे थे। किन्तु वातावरण के अभाव में इसे अपने अन्दर ही दबाये रह रहा था। जब मेरे पिता जी के श्राद्ध कर्म के अवसर पर 2010 में समाज एवं अपने परिवार के लोग इक्ट्ठे हुए तब मैंने उचित अवसर जानकर अपने मन में वर्षों से दबी हुई इस बात को समाज के सामने रखने का साहस किया। मैंने सभी लोगों के बीच यह निवेदन के साथ याद दिलाया कि मेरा समाज या मेरे पूर्वज सदैव से ही पूजणीय रहे हैं। पूर्वजों की सोच भी समाज को संगठित करने का था।पूर्वजों ने संगठन खड़ा करने की भरसक कोशिश भी की,पर कतिपय कारणों से संगठन चिरंजीवी नहीं हो सका। इसका मलाल हमें ही नहीं,समाज के है बुद्धिजीवी को खटकते रहा है। समय के बदलाव एवं आपसी बिखराव के कारण स्थिति दयनीय हो गयी।जो सम्मान और प्रतिष्ठा हमारे समाज के लोगों को मिलना चाहिए था, हम आज उससे कोसों दूर चले जा रहे हैं और उसका कारण आपसी मतभिन्ता, बिखराव एवं संगठन का अभाव ही रेखांकित हुआ। अतः मैंने सबों के सामने एक मजबूत संगठन बनाने का प्रस्ताव रखा….. Read More
उदासीन संप्रदाय ग्रंथो के आईने में
उदासीन सम्प्रदाय भारत वर्ष का प्राचीनतम श्रौत सम्प्रदाय है। सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा ने सात्विक संकल्प से सनक, सनंदन, सनातन और सनत्कुमार नामक चार मानस पुत्रों को उत्पन्न किए और सृष्टि- निर्माण की आज्ञा दी। किन्तु चारो कुमारों ने पिता का आदेश स्वीकार नहीं किए।मोक्ष धर्मा और वासुदेव परायण होने के कारण वे उर्ध्वरेता उदासीन मुनि कहलाए।
Head office:
Surabhi Vihar (Bhupatipur), PO – Dhelwan, Patna – 80020, Bihar, India
Contact No – 8789000173, 9973865531, 8825333172